Our Positive Intention

गर्मी से समाधि तक

हमेशा सत्य बोलने में जीत होती है। अंधविश्वास रहित सभी धर्मों व मजहबों में वर्णित वर्णनों व वैज्ञानिको की खोज पॉजिटिव (सम्यक) की जय हो। जन्म से मृत्यु तक कैसे सुखी (शान्त) हम

हमारे अनुभव

जो टोन्टिंग, ठंडे व गर्म वार्तालाप से भी कम समय में मन से सहमति के आधार पर होंगे

(1) अनंत चिंतन जो संसार में किसी के भी द्वारा हुए उन्हें मानवता के लिए अपने ऊपर प्रयोग द्वारा सत्यापित करना हमारा कर्तव्य है। वरना उसका लाभ असंभव है।

(2) पूर्व व हमारे चिंतन का मिला जुला रूप हमे संसार में छोड़ना चाहिए ताकि अगले मानव उसका लाभ उठा सके व यह कर्म चालता रहे। अनंत तक।

(3) शरीर का संचालन इन दो तत्त्व गर्मी व पानी से भी हो रहा है, जो हमारे दिमाग चेतना को सही अवस्था में रखता है।

(4) गर्मी शरीर में तीन प्रकार से पैदा होती है तथा आमाशय में गरम खाने या पानी की कम या अधिक पीने से की जा सकती है। उसे इतना बढ़ाना चाहिए की गर्मी शरीर के बाहर वैसे ही या पसीने द्वारा निकलती रहे ताकि वायुमंडल का प्रभाव शरीर पर ना पड़े।

(5) (क) गर्मी किसी भी मुद्रा में लम्बे-लम्बे सांस, धीमे-धीमे या तेजी से लेने व शारीरिक कम या अधिक मेहनत से बनती है।

(ख) गर्मी खाने से बनती है तथा सुबह। 1:- गर्म या 2 ठंडा खाना या नाश्ता अधिक व भारी बाद में कम व हल्का करते जाना चाहिए। व शरीर में गर्मी रोकनी चाहिए। चाहे कपडा पत्नी लगानी पड़े ताकि पसीना आ सके।

(ग) व गर्मी हल्के व तेज गर्म पानी पीने से बनती है। किसी भी समय डकार आने या बनावटी लाने पर आसमान की तरफ मुहें करके लेनी चाहिए ताकि जी ना मिचलाये व पेट की हवा डकार या अपाल वायु द्वारा निकलती रहे।

(6) अपने दिमाग से अधिक कार्य लेने के लिए हमें अपना पेट खाली रखना पडता है। खाली पेट पानी बिना किसी रुकावट के जल्दी हजम होकर सभी अंगो में समान गर्मी बनाकर दिमाग व सारे शरीर में खून की आपूर्ति सही रखता है व शरीर के सभी सेल्स को सही अवस्था में रखता है। तथा जमी चर्बी को भी भोजन की अवस्था में ले आता है। पानी हमें 24 घंटे में 5-6 लीटर सिचाई की तरह अपनी सुविधा अनुसार पीना चाहिए परन्तु खाली पेट यानी खाने नाश्ते से 45 मिनट पहले, लैटिंग के बाद या नींद से पहले बिना प्यास के अपनी आवश्यकता के अनुसार चाहे। 1 तेज गर्म 2 गर्म या ठंडा जिसे हमें अपने मिजाज (वात, पित व कफ) या कब्ज - दस्त के अनुसार ही तय करना है। इसके बाद 45 मिनट बाद ही खाना चाहिए जिसमें मिजाज अनुसार मीठे नमकीन, फल, सब्जी, अधिक हो तथा खाने में मिजाज अनुसार तर रुक्ष, गर्म, ठंडे, मीठे व नमकीन का ध्यान रखना चाहिए ताकि जीवन शक्ति घोल की तरह लाभ मिल सके। खाने के बाद प्यास लगने पर ही पानी मिजाज अनुसार पीना चाहिए, मिजाज अनुसार ही हमे खाने में खट्टा, कड़वा, व पकवान आदि व मौसम से परहेज रखना चाहिए।

(7) लैट्रीन किसी भी समय जाने से पहले 1. तेज गर्म (से टेन्स, इन्फेक्शन नहीं रहेगा) 2: गर्म या ठंडा पानी बैठकर पीना चाहिए। यदि हो सके तो बैठकर या खड़े होकर 45 मिनट रुकने की कोशिश करनी चाहिए, जिससे शरीर के ज्यादा से ज्यादा विजातीय द्रव्य (गंदगी) बाहर निकल जाए। अगर पानी आधा गिलास से लेकर 20 गिलास तक (कम या अधिक आवश्यकतानुसा) एक बार में धीरे या तेजी से पीया जाएगा जिसे हजम न होने दे चाहे पानी उबाल कर पीये ताकि गुरुत्वाकर्पण के कारण प्रेशर जल्द बनेगा तथा फालतू पानी लैट्रिन में ही कुंजल की तरह लम्बे लम्बे सॉस लेने या नाक साफ करने से निकल जायेगा।। प्रेशर के लिए चाहे लैट्रीन में ही करनी पड़े। इसके बाद तो 45 मिनट बाद ही खाना चाहिए जिसमे फल व सब्जी अधिक हो। उम्र के बढ़ने पर व बिमारी में पानी व गर्मी की आवश्यकता बढ़ जाती है, जो हमें अपने आप तय करनी होगी।

(8) अखंडित नींद शरीर के लिए सबसे आवश्यक है। इसके लिए खाने के बाद सोने में गहरी नींद तथा तेज गर्म या ठंडा पानी पीने के बाद भी हल्की नींद बनेगी व दर्द कही होगा। तो कम हो जायेगा। सिकाई की तरह तथा इन्फेक्शन व सभी बीमारियां भी ठीक हो जायेगी चाहे व्यक्ति बिस्तर पर ही क्यों न हो।

इशारा क्रमश अधिक स्पष्टीकरण के लिए सपर्क किया जा सकता है।

ज्ञानी से अज्ञानी की लड़ाई कब तक - ज्ञान बराबर होने तक

सहमति - मंच

(महा मानवो व मानवो का) (कोई भी पहले)

धार्मिकता व सामाजिकता (धार्मिकता के साथ) में अलग-अलग लिप्त रहते हुए मानव जीवन, जानवर, पर्यावरण व चेतना रखने वाले सभी के लिए। सभी महानत्म मानवो द्वारा बताये सभी समान विचारों को भी हम प्रचारित करेंगे व विरोधी विचारों को एक मत से कम या समाप्त करेंगे।

महा मानव :-

1. परम पूज्य श्री आचार्य १०७ सुदर्शन सागर महाराज जी - गुरु श्री १०७पारस सागर महाराज सोना गिर वाले
2. परम पूज्जा चरित्र नायक आचार्य श्री १०७कनक सागर महाराज जी
3. परम पूज्य एलाचार्य १०७ क्षमा भूपण जी महाराज गुरू आचार्य १०७ श्री धर्म भूषण जी महाराज
4. परम पूज्य श्री आचार्य १०७ मुनि पार्थना सागर महाराज जी दविक्षा गुरु आवार्य १०७ पुष्पदंत महाराज जी
5. परम पूज्य आचार्य श्री १०७ विनीत सागर महाराज जी गुरु परम पुज्य आचार्य श्री १०७ कल्याण सागर महाराज जी